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उड़ान पंखो से नही बल्कि होसलो से होती है

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बच्चो के हाथ मे जैसे ही कोई नए किताब आती है | वे झट से उसे उलटना –पलटना शुरू कर देते है | उनमे एक उतावलापन होता है | चित्र निहारने का , कविता ओर कहानियो के बारे मे जानने का खेलने-कूदने का आदि बच्चे हर चीज का भरपूर फ़ायदा उठाना चाहते है । हमे उन्हे रोकना नहीं चाहिए , क्योंकि कोई भी पक्षी तब तक ही खुश रहता है जब तक कि वह खुले आसमान मे उड़ता रहता है , यदि हम उसे पिंजरे मे बंद कर देंगे तो उसके जीवन की खूबसूरती और उत्साह दोनों ही कम हो जाएंगे । ठीक उसी तरह यदि बच्चे कुछ करना चाहते है किसी नई दिशा मे जाना चाहते है तो हमे उन्हे रोकना नहीं चाहिए |   अपितु उन्हे आगे बड़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए | तभी वे कामियाबी की उचाईयों तक पहुच पाएगे , ओर जीवन के अद्भुत सत्य को पाएगे | अत: उड़ान पंखो से नहीं बल्कि होसलो से होती है | आवशकता है तो सिर्फ प्रेरणा  ओर नया कुछ करने की इच्छाशक्ति की | रिलेटेड आर्टिकल्स- ऐ ग़ालिब तेरे शहर में,ये कैसी गरमी? हे मानवों : सब्र करो कि करिश्मा है होने वाला