Posts

Showing posts with the label romantic poetry

मै उसकी अदाओं का आशिक,तुम कौन

Image
तितलिओं पर सवार हो,उड़ती हुई आएगी वो, गुलशनो से गुलों का अर्क लबों पे समेट लाएगी वो, तड़पायेगी,तरसाएगी,और थोड़ा गुरुर में गरमाएगी वो, चुपके से विरानो में, हल्के से कानो में शरमाएगी वो, बहारों का बेशकीमती रंगों का लबादा लपेटे इठलाएगी वो, वो जानती है, वो मेरी है, लेकिन फ़क़त जताएगी वो, में आवारा हूँ,फिर भी पता परवाने का परिंदों से पूछेगी वो, चाहे हवाओं के हालात बेकाबू हो,एक लम्हा जुदा ना रह पाएगी वो, क़सक,तड़प,बेचैनी,जूनून,जस्बात और जवानी छलकाएगी वो, स्त्रीलिंग है,अल्फ़ाज़ों से इज़हार नहीं कर पाएगी वो, बस इशारों-इशारों में इश्क़े फ़रमान फरमाएगी वो, बशर्ते "अज्ञात" ही आगाज़े बयाँ करे यही चाहेगी वो, और मेरे खोखले ख्यालों से फिर “कविता” बन जाएगी वो... Click Me For Wow Video

वो यूँही नही भीगने लगी,उसने कुछ तो सोचा होगा

Image
वो यूहीं नहीं भीगने लगी बरसातों में , शायद बारिशों ने उसके बदन को यूँ छुआ होगा , एहसास-ऐ-इश्क भी कोई मंजर है यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा ! वो यूहीं नहीं कजरा लगाने लगी आँखों में , शायद निगाहों ने उसे इशारा किया होगा , ख्वाब यूहीं नहीं पलते पलकों  पे   यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा ! वो यूहीं नहीं लाली लगाने लगी लबों पे , शायद होटों ने उसे उकसाया होगा , मुस्कराहट यूहीं नहीं छलती यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा ! वो यूहीं नहीं गजरा लगाने लगी गेसुओं में , शायद गुलशन ने उसे बहकाया होगा , क्यूँ खुशबू फ़िदा है हवाओं पे यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा ! वो यूहीं नहीं मटक कर चलने लगी राहों में , शायद इस "अज्ञात" पर उसे विशवास होगा , वरना राहें भी बड़ी शातिर होती है यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा.... अरुण "अज्ञात" पंचोली सम्बंधित लेख -  विडियो: राजनीति में रसीले नेताओं की रंगीन रासलीला वैश्यावृत्ति : मज़बूरी का शिकार या पापी प्यासी हवस माता हरी:एक जासूस,डांसर,र...