कातिल जवानी और भड़कते अरमान

Click Me For Wow Video कश्मकश के इस दौर में, जिंदगी की ख्वाइश कर ली | तपते इस रेत के सेहरा में, हमने इक छांव की गुजारिश कर ली | तुम्हारे पहलू में आकर हमने, फिर से,तुम्हे पाने की साज़िश कर ली | इश्क के ज़र्रे जब से हमें लगे आजमाने, हमने भी दिल्लगी की ख्वाइश कर ली | तोड़ने के लिए गुलों का गुमान-ऐ-गुरुर, शुलों से लहुलुहान होने की फरमाइश कर ली | दीवानगी का सुरूर कुछ ऐसा छाया हम पर, कि तमाम ज़िन्दगी राँझा-मजनू-सी लावारिस कर ली |