औरंगाबाद। हिंदू धर्म के पंचांग को विज्ञान सम्मत और वातावरण से जुड़ाव रखने वाला कहा गया है। इस पंचांग के अनुसार जो व्रत, त्यौहार और पर्व दर्शाए या मनाए जाते हैं उनका पर्यावरण,प्रकृति और मानव से संबंध होता है। ऐसा ही एक पर्व है मकर संक्रांति, जो कि सूर्य के स्थति परिवर्तन और मौसम में शीत ऋतु के प्रभाव को लेकर मनाया जाता है। यूं तो यह पर्व तब मनाया जाता है जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है। मगर मौजूदा समय में मकर संक्रांति के पर्व को अंग्रेजी कैलेंडर की दिनांक के अनुसार मनाने का चलन हो गया है हालांकि, तारीख के अनुसार भी मकर संक्रांति उसी दिन मनाई जाती है जिस दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है। मकर संक्रांति से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण हो जाता है। जिसे बेहद शुभ माना जाता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार मकर संक्रांति के पर्व को मनाने और पतंगबाजी करने के कारण कुछ लोग इस पर्व को 14 जनवरी को आयोजित किया जाना मान लेते हैं और आसमान में पतंगबाजी कर व तिल – गुड़ के लड्डू खाकर पर्व मनाते हैं. मगर ज्योतिषीय मान्यता है कि, जिस तिथि के अवसर पर सूर्योदय होता है पूरे दिन वही तिथि...
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