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दास्ताने-दिनकर : युगों-युगों से सिने में आग लिए

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ClicK Me FoR WoW VideO... युगों - युगों से सिने में आग लिए , मैं पल - पल जलता - पिघलता हूँ , किसे सुनाऊं " दास्ताने - दिनकर ", कैसे सांझ - सवेरे ढलता निकलता हूँ | चन्दा - चकोरी की , प्रेम कहानी जग जाने , टूटते तारों पे मन्नतें , मांगते है ये जमाने , कोई ज़र्रा नहीं जो , मेरे गमो से रूबरू हो जाए , इस महफ़िल में तो , सब चाँद - तारों के है दीवाने | क्या खूब जिंदगी तूने , मुझे अता की है मेरे मौला , शबनम का नामो - निशाँ नहीं , तूने मेरे एहसासों में घोला , बना दिया तूने मेरी , सूरत - सीरत को आग का गोला , बस दहकता रहता है , मेरे रोम - रोम में शोला ही शोला | मोती ममता के क्या होते है , पलकों पर सपने कैसे सोते है , भूख - प्यास क्या होती है , आँखे भर - भर आंसू कैसे रोती है , इनको महसूस नहीं कर पाता हूँ , पत्थर से भी नीरस जिंदगी बिताता हूँ , किसे सुनाऊं " दास्ताने - दिनकर ",   कैसे सांझ - सवेरे ढलता निकलता हूँ | ClicK Me FoR WoW VideO...

परछाई,महबूबा यूँही नहीं तुम पर मरेगी

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एक दिन परछाइयां जरुर बोलेगी, अनल बर्फ के आंसू जरुर घोलेगी, समीर को न गिला न शिकवा होगा, ना बदरिया का कोई सिलसिला होगा |   जब ये कायनात डग - मग डोलेगी , फुर से चिड़िया दाना चुगकर, खुले आसमां में छम - छम तेरेगी , तुम ताकते रहना नदी किनारे, मछली सारे रजिया के राज खोलेगी | कलियों की कहानी पुरानी हो गई, अब गलियों में जवानी दीवानी हो गई, शबनम से अब हाला नहीं भरेगी, शराबियों से अब शराब नहीं डरेगी | तुम आइना क्यों देखते हो- महबूबा युहीं नहीं तुम पर मरेगी, थोड़ी घड़ियाँ थामकर चलो यारों, इनकी कदम - कदम पर जरुरत पड़ेगी | एक दिन परछाइयां जरुर बोलेगी, अनल बर्फ के आंसू जरुर घोलेगी