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Showing posts from September, 2016

अमिताभ : इसको लगा डाला मतलब फॅमिली जिंगालाला

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  amitabh bachchan in tata sky tvc ad बात पते की , यदि आप एंग्रीमेन मतलब बिग बी मने अमित जी के गजब के फेन है तो यह आर्टिकल आप पर कुर्बान है चूँकि रिश्ते में तो हम तुम्हारे....नाम है .....को दिलो जान से चाहते है. हमारे कुली नंबर वन फिल्म जगत में आए दिन कुछ न कुछ नया करते रहते है , उनके कर्मकांड से उनकी उम्र का पता ही नहीं चलता है. ऐसा लगता है जैसे बच्चन साहब फिर से बचपने में चले गए है और एक नई ज़िन्दगी की शुरुआत कर रहे है , वे फिर जवान होंगे...फिर बूढ़े होंगे...और फिर दिल तो बच्चा है जी. अमितजी कभी कौन बनेगा करोड़पति के होस्ट , तो कभी नवरत्न तेल...ठंडा-ठंडा कूल-कूल में और कभी दिवार , जंजीर , अमर अकबर अन्थोनी , डॉन , अग्निपथ , ब्लैक , पा , पिकू जैसी विचित्र और चुनौतीपूर्ण फिल्मे करने के बाद आज बॉलीवुड में ही नहीं पूरी दुनिया में वे एक अलग पहचान के साथ जाने जाते है.  जब अमिताभ बच्चन साहब बीमार होने पर हॉस्पिटल में भर्ती हुए तो पूरा देश उनके अच्छे होने की प्रार्थना करने लागा और वे शीघ्र ठीक हो गए.एंग्रीमेन का फ़िल्मी सफ़र बहुत ही प्रेरणादायक और दिलचस्प है, उनकी एक्टिंग भी अपने आप में किसी हकी

अब भगवान भरोसे भारत-पाक फिल्म उद्योग

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Pakistan vs Indian film industry भारत पाकिस्तान के बीच जिस प्रकार का द्वन्द यद्ध चल रहा है उसे देखकर लगता है पाकिस्तान पर आने वाले समय में संकट के बादल और गहरे छा जाएंगे. इसके चलते पाकिस्तान के फिल्म उद्योग को भी चिंता सताने लगी    है कि अगर भारत-पाकिस्तान संबंध और ज्यादा बदतर होते हैं और साथ ही देश में हिन्दी फिल्मों पर प्रतिबंध लग जाता है तो उसे लगभग 70   प्रतिशत नुकसान उठाना पड़ सकता है।  साथ ही भारतीय फिल्म जगत में काम करने वालो को भी डर है कि अगर यह स्थिति बेहतर नहीं हो पाती है तो फिर आगे भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगाने की आवाज उठेगी।मशहूर जाने-माने प्रदर्शक ,  वितरक और एट्रियम सिनेप्लेक्स सीरीज़ के मालिक नदीम मंडविवल्ला का कहना है कि  ' मैं निराशावादी बातें नहीं करना चाहता हूं लेकिन सच्चाई यह है कि नई हिन्दी और अंतरराष्ट्रीय फिल्मों के प्रदर्शित होने के कारण पिछले कुछ साल में पाक के फिल्म उद्योग को एक उंचाई मिली है जो काफी सराहनीय बात है। '  Bollywood actress उन्होंने आगे यह भी बताया है कि , ' मैं केवल यह उम्मीद करता हूं कि लंबी समयावधि तक संबंधों में तनाव नहीं रहना

नवरात्रि में ऐसे होगी आपकी मनोकामना पूर्ण

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शारदीय नवरात्रि में देवी साधना का विशेष महत्व है, नवरात्रि में माता के नो स्वरूपों का पूजन अर्थात साधना की जाती है. नवरात्रि में देवी का प्रत्येक दिन उनके एक विशेष रूप को लेकर होता है. यदि कोई भक्त अपनी कोई इच्छा या मनोकामना से देवी के उस विशेष रूप की पूजा करता है तो वह शीघ्र ही माता की अनुकम्पा प्राप्त कर लेता है. यदि किसी व्यक्ति का चित स्थिर नहीं है या उसके मनोबल में किसी भी प्रकार की कमी है तो वह पर्वत राज की पुत्री शैलपुत्री(माता पार्वती) की साधना करें. यदि कोई भक्त किसी लोभ लालच  से मुक्ति चाहता हो तो वो परब्रह्म का साक्षात् कराने वाली ब्रह्मचारिणी की भक्ति करे. यदि कोई भक्त किंचित बातों से क्रोधित हो जाता है, तनाव में रहता है तो उन्हें चंद्रघंटा माता की स्तुति करना चाहिए. यदि भक्त बहुत मेहनत कर रहा है किन्तु परिणाम उसके अनुकुल नहीं आ रहे है तो ऐसी स्तिथि में उसे देवी कुष्मांडा की आराधना करनी चाहिए. शिक्षा प्राप्ति के लिए, किसी प्रकार की साधना के लिए माँ स्कन्द माता की स्तुति करनी चाहिए. यदि आपका दाम्पत्य जीवन सुखपूर्वक नहीं बीत रहा है तो ऐसी स्थिति में माँ कात्यायनी की सेवा करनी

नवरात्रि : नो माताओं का होगा अपने लालों से मिलन

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देवी जगदम्बा की नो शक्तियां अर्थात नो स्वरुप है जिनके प्रथक-प्रथक नाम इस प्रकार से है: प्रथम का नाम शैल पुत्री(जिन माता ने पारवती देवी के रूप में पर्वत राज हिमालय के घर में जन्म लिया), दूसरी शक्ति का नाम ब्रह्मचारिणी(ये वो शक्ति है जो परब्रह्म का साक्षात्कार कराती है), माता की तीसरी शक्ति का नाम चन्द्रघंटा है अर्थात जिस देवी के घंटा में चन्द्रमा स्थित है.  इसी प्रकार माताजी की चतुर्थ शक्ति कुष्मांडा है(तीनों ताप्युक्त जगत जिनके उदर में विद्यमान है). पांचवा स्वरुप स्कन्द माता अर्थात कार्तिकेय को जन्म देने वाली है, माता के षष्टम स्वरुप देवी कात्यायनी का है(महर्षि कात्यायन के आश्रम में प्रकट होने वाली वो देवी जिनको ऋषि कात्यायन ने अपनी बेटी माना है).  इसी प्रकार से सातवी माता का नाम काल रात्री है जो सम्पूर्ण संसार को भी नष्ट करने वाली काल की भी विनाशिका है. आठवीं शक्ति महागौरी है जिन्होंने भगवान् भोलेनाथ के महाकाली कहने पर घौर तपस्या करके वरदान में महान गौरवर्ण प्राप्त किया था. नवीं माता का नाम सिद्धिदात्री अर्थात मोक्ष प्रदान करने वाली माताजी है. सम्बंधित लेख- हिन्दुधर्म में क्यों मनाते

नवरात्रि में विधि-विधान से पूजन करने के नियम

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पुराणों में पूजन की पांच विधियाँ बताई गई है, पहला सफाई(अभिगमन) दूसरा उपादान(गंध पुष्प आदि पूजन सामग्री का संग्रह) तीसरा योग(अपने इष्ट देव की आत्मरूप से भावना करना) चौथा सवाध्याय(मन्त्र जप, सूक्त स्त्रोत, नाम गुण आदि का कीर्तन करना) पांचवा इज्या(इसमें षोडषोपचार अर्थात सोलह प्रकार के उपचार सम्मिलित है. यह षोडषोपचार इस प्रकार है: आसन स्वागत पाद अर्ध्य कलश आचमन मधुपर्क स्नान वस्त्र आभूषण सुगन्धित द्रव्य पुष्प धूप दीप नैवेद वंदना.    नवरात्रि के नो दिनों में आप जितनी भक्तिभाव से माता दुर्गा की पूजा करेंगे उतना ही माता रानी आपको सफल-सरल और सुशिल बनाएगी. इसलिए इस नवरात्रि में पूजा को बड़े ही विधि-विधान के साथ करना. सम्बंधित लेख- हिन्दुधर्म में क्यों मनाते है नवरात्रि मैया मोरी तुमरे दरस की प्यासी मै रोचक कहानी : काल भैरव को कैसे मिली ब्रह्मा हत्या से मुक्ति

हिन्दुधर्म में क्यों मनाते है नवरात्रि

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नवरात्रि महत्व: हिन्दुओं में धार्मिक उत्सवों का विशेष महत्व है जिसमे नवरात्री सबसे पहले नंबर पर आती है, हिन्दुओं में मान्यता अनुसार कई मत प्रचलित है लेकिन शायद ही कोई ऐसा परिवार होगा जहाँ नवरात्री पूजन का विधान न हो. नवरात्रि के 9 दिनों में माँ भगवती के नो रूपों की विशेष पूजा का विधान है. बहुत से लोग बस इतना ही जानते है कि नवरात्रि दो प्रकार की होती है, एक बासंती(चेत्र) नवरात्रि दूसरी शारदीय नवरात्रि. लेकिन हम धर्मशास्त्रों का अध्ययन करें तो एक वर्ष में चार नवरात्रि होती है. नवरात्रि के प्रकार: चेत्र नवरात्रि : वर्ष का प्रथम मास होने के कारण इसको चेत्र मास या मधुमास भी कहा जाता है, इस समय बसंत ऋतु का आगमन भी होता है. आषाढ़ नवरात्रि: इस नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि भी कहा जाता है, इस नवरात्रि में उग्र साधनाएं करने वाले तांत्रिक और अघोरी वीभत्स साधनाओं में लीन रहते है. शारदीय नवरात्रि: यह नवरात्रि आश्विन शुक्ल में आती है, इसको वार्षिक नवरात्रि भी कहते है, चारों नवरात्रि में इसको ही सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. माघ मास की नवरात्रि: यह नवरात्रि गुप्त नवरात्रि मानी जाती है. यह गुप्त पूजन के

वैश्यावृत्ति : मज़बूरी का शिकार या पापी प्यासी हवस

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हम कई बार दबे छुपे शब्दों में उसका जिक्र करते है, प्रायः आदमी की दबी इच्छा उसके जिस्म को पाने की होती है... वह भी अपनी कामुक काया को परोसकर अपना पापी पेट पालती है. औरतें भी छुपकर उसके बारे में गॉसिप करने से बाज़ नहीं आती ! फिर भी इस सभ्य समाज में उसका नाम लेने से लब कांपते है, दिल थर्राता है, वो नाम है वैश्या....कॉलगर्ल....सेक्स वर्कर और न जाने कितने ऐसे नाम ? हर ख़ास और आम ये बात जानने की उत्कंठा रखता है कि ये कितने प्रकार की होती है ? ऐसी ही एक नारी की जुबानी हम आपको इस पेशे से रूबरू कराते है. होम बेस्ड:- ये वो सेक्स वर्कर होती है जो अपने घरों में छिपकर धंधा चलाती है. प्रोफेशनल भाषा में इनको हिडन पापुलेशन कहा जाता है, यहाँ तक कि इनके आसपास के लोगो को भी इनकी भनक नहीं लगती, इनका काम होता है “चोरी-चोरी, चुपके-चुपके”. स्ट्रीट बेस्ड:- ये वो वैश्याएँ होती है जो गलियों और सडको पर पाई जाती है, ये गलियां और सड़कें ही इनका पिक पॉइंट होता है. उदहारण के तौर पर देश की राजधानी दिल्ली का “रेड लाइट एरिया” जहां पर इनकी भरमार है. हाईवे बेस्ड:- इस केटेगरी में वे वेश्याएं आती है, जो हाईवे या रोड पर मिल

क्या आप जानते है अमित-राजीव की दोस्ती की यह सच्चाई?

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दोस्त शब्द जैसी ही हम जुबाँ पर लाते है “ये दोस्ती हम तोड़ेंगे...या बने चाहे दुश्मन ये सारा ज़माना,सलामत रहे दोस्ताना हमारा” ये गाने लबों पर आते है. दोस्ती खुदा की दी हुई एक इनायत है, जो दिल के तारों से जुडी है,एक इबादत है. चोट किसी को लगती है तो, दर्द किसी को होता है. दोस्त वो हमसाया है जो हमेशा हमारे साथ चलता है. दोस्तों आज हम ऐसी ही भूली बिसरी दोस्ती की बात कर रहे है....द लीजेंड बिग बी अमिताभ बच्चन  की  दोस्ती.  आप सोच रहे होंगे कि अमिताभ बच्चन का दोस्त कौन, अमरसिंह या हमारे देश के PM मोदी, जिनके गुणगान करने में वो ...”अदभुत आश्चर्य” कहते हुए कभी थकते नहीं, नहीं जनाब हम बात कर रहे है भारतीय राजनीति के महानायक राजीव गाँधी की ! कभी अमित के लंगोटिया यार रहे राजीव सातवें आसमान पर बैठकर ये गाना तो नहीं गुनगुना रहे है...”मेरे दोस्त किस्सा ये क्या हो गया, सुना है कि तू बेवफा हो गया”.  हमारे बिग बी राजीव गाँधी के लंगोटिया यार रह चुके है.... कहा तो यह भी जाता है कि उनके पिताजी महान कवि श्री हरिवंश राय बच्चन जी के लिए शासकीय पद का सृजन भी इंदिरा और तेजी बच्चन की बेस्ट फ्रेंडशिप का ही परिणाम था

फैसला आपका : देश में उन्नति या अवनति

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सच्चाई छुप नहीं सकती बनावट के झूटे उसुलों से और खुशबु आ नहीं सकती कागज़ के फूलों से, अर्थ और अनर्थ में महज़ यही फ़ासला इस दौरे-जहाँ का अमिट कटु सत्य है | वर्तमान परिवेश में देश और देशवासियों का रुख किस दिशा की और है यह एक विकट प्रश्न है |  ज्यादा गहराई में ना जाते हुए हम अपने देश की उन्नति और अवनति का विश्लेषण सतही स्तर पर करें तो पाते है कि हमारे चारों ओर सिर्फ बाबाजी का ठुल्लू ही विभिन्न प्रकार की गतिविधियों में मशरूफ है | आज देश में बलात्कार,गैंगरेप,आतंकवाद,चोरी-डकेती,लुट,सरेआम-क़त्ल,मारा-मारी,जघन्य हमले,राजनीति,कूटनीति,भ्रष्टनिति,छल-कपट,गबन,घपले-घोटाले और जाने क्या-क्या, जैसे मासूम नवजात बच्चों को पैदा करके फेंक देना या मंदिर-मस्जिद में छोड़ देना, झाड़ियों में फेंक देना, जिन्दा जमीन में गाड़ देना, चाइल्ड,गर्ल चाइल्ड, वीमेन पेट्रोलिंग, वेश्यावृत्ति,कालाबाजारी, इंसानों की खरीद-फरोक्त,फर्जीवाड़ा,माता-पिता का क़त्ल,धमकियों भरे फ़ोन कॉल्स,खुनी संघर्ष,न्याय-अन्याय के सालों चलने वाले अदालती मुकदमे,फिल्मो और टीवी प्रोग्राम्स में अश्लीलता,नए-नए धुम्रपान और नशे की नवयुवाओं में बड़ती लत या स्टाइल या फ़ेश

PM foreign travel : Heavy Handed Hunger Versus Stubborn Identity

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Alike a newborn baby who does every possible and impossible attempts to complete his stubborn urge and as he grows up the dogged naughty nature too enhances until and unless he sails up to heaven or hell myth logically. Similarly, we have been eyeing since 1958 on a boy who joined RSS then BJP and who has been so called a “Tea Boy” became the Prime Minister of our Nation now by putting his enormous and effective efforts not only on the mango men but also on the Indian high society undoubtedly.  And it could become presumable because of his strength of speech and communication power being a veteran leadership though utterance and questions are always on tongues that how can a “Tea Boy” become a duke of Indian dukedom and govern on it means not possible as per some orthodox Indian people as behaved with Congress Leader Sonia Gandhi that a foreigner can’t be the Prime Minister of India. But the “Tea Boy” who won the battle of politics and now became a “Sky Man” and is flying very high in

दबंग बकरा:मै आ गया हूँ OLX पर बकरा ईद मनाने

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थोड़ी-सी मस्ती- संताजी : भाई ये कैसे पता चलेगा कि सामने जो जानवर है वह बकरा है या बकरी। बंताजी : सिंपल है मेरे भाई , उसको पत्थर मारना यदि वह भागा तो बकरा और भागी तो बकरी। ऑनलाइन बिज़नस ने पूरी दुनिया मे धूम मचा रखी है मुस्लिम भाइयों के त्योहार   बकरीद  के उपलक्ष्य में olx कंपनी प्लैटफ़ार्म पर स्मार्ट और हैंडसम बकरो की मांग जोरों से की गयी है। आपने सही सुना , स्मार्ट और हैंडसम बकरे। इस ऑफर के साथ ही लुभावने प्रलोभन भी दिए गए है। जनाब olx पर बकरों की बोली जमाझूम लगी हुई है। यहाँ हर नस्‍ल और वाजिब कीमत का बकरा olx पर मौजूद है। olx के चलते बकरीद के लिए बकरा खरीदने और बेचने के लिए आपको परेशान होने की जरूरत नहीं है। आज बकरीद मनाई जा रही है। बाजारों में बकरों की खरीद जोर-शोर से चल रही है। बकरों की हाट और बाज़ारों में भी खरीदारी हो रही है। इसके साथ ही बाजार और हाट के अलावा भी एक स्थान और है जहां बकरों को खरीदने-बेचने का काम ज़ोरों से चल रहा है। जिसका नाम है इंटरनेट आनलाइन बाजार । olx पर भी बकरों की हाट लगी हुई है। 10 हजार रुपये से लेकर डेढ़ लाख रुपये और उससे भी अधिक का बकरा olx पर बिकने के लिए

National Father-Gandhiji and Gigs of Three Monkeys

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Have you ever heard about the mannerism and etiquette of monkeys since their inception? Hopefully not, though it’s been scientifically proved that monkeys were our forefather. It sounds more tangible if I say we are family members of monkeys by blood and body.  And that is the reason behind the quote used for humanity and its honesty that was spoken by Mohandas Karamchand Gandhiji “Never See, say and hear evil” by portraying three innocent monkeys. No doubt that we came from animal genus and nowadays often called social animals but with adding words mannerism and etiquette which quite puts us in a different level, little away and advanced from monkeys.  Here is Forth Monkey- Those three monkeys are same constantly since then in appearance till now but they became gigs in their duties and little bit modified the quote of our national father by adding one more word and that is “Gentle Flirt” themselves. What these monkeys are doing with this quote, just they put hands on lips, ears and