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वो यूँही नही भीगने लगी,उसने कुछ तो सोचा होगा

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वो यूहीं नहीं भीगने लगी बरसातों में , शायद बारिशों ने उसके बदन को यूँ छुआ होगा , एहसास-ऐ-इश्क भी कोई मंजर है यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा ! वो यूहीं नहीं कजरा लगाने लगी आँखों में , शायद निगाहों ने उसे इशारा किया होगा , ख्वाब यूहीं नहीं पलते पलकों  पे   यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा ! वो यूहीं नहीं लाली लगाने लगी लबों पे , शायद होटों ने उसे उकसाया होगा , मुस्कराहट यूहीं नहीं छलती यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा ! वो यूहीं नहीं गजरा लगाने लगी गेसुओं में , शायद गुलशन ने उसे बहकाया होगा , क्यूँ खुशबू फ़िदा है हवाओं पे यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा ! वो यूहीं नहीं मटक कर चलने लगी राहों में , शायद इस "अज्ञात" पर उसे विशवास होगा , वरना राहें भी बड़ी शातिर होती है यारों , उसने कुछ तो सोचा होगा , उसने कुछ तो सोचा होगा.... अरुण "अज्ञात" पंचोली सम्बंधित लेख -  विडियो: राजनीति में रसीले नेताओं की रंगीन रासलीला वैश्यावृत्ति : मज़बूरी का शिकार या पापी प्यासी हवस माता हरी:एक जासूस,डांसर,र...

Holi Celebration: बुरा ना मानो होली है

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  बुरा ना मानो होली है देख रे भाई रामा, चलेगा ना कोई ड्रामा, होली का है हंगामा शिला-मुन्नी-शालू-चिकनी-चमेली, सब को रंग गुलाल लगाने का है, भर-भर पिचकारी चलाने का है, यह तो दस्तूर जमाने का है, देख रे भाई रामा, चलेगा ना कोई ड्रामा,  होली का है हंगामा गणपत-सर्किट-पप्पू-लिक्विड सब का कपड़ा-शापड़ा फाड़ने का है, गांजा-वांजा मारने का है, तंदूरी-चिकन ताडने का है, देख रे भाई रामा, चलेगा ना कोई ड्रामा, होली का है हंगामा छोटा छतरी-गुरु-गुलाब खत्री, रतन नुरा-छोटा डोन और जगीरा, आज सब को गिले-शिकवे भुलाने का है, मिलकर एक-दूजे को हग मारने का है, देख रे भाई रामा, चलेगा ना कोई ड्रामा, होली का है हंगामा स्कूल-कॉलेज-नौकरी-चाकरी, सब को आज छुट्टी मारने का है, पिंटू-चिंटू-चिंकी-पिंकी बंटी और बबली, सब को आज बच्चा पार्टी मनाने का है, देख रे भाई रामा, चलेगा ना कोई ड्रामा, होली का है हंगामा !

तू जिंदगी ना सही,तेरा एहसास हमेशा साथ रहेगा !

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देखो फिर आँखों में नमी - सी छा गई है , वो सूरत जो आँखों से ओझल हुई नहीं कभी , वो यादें जो ख्यालों से दूर गई नहीं कभी , आज वो चुपके से फिर ख़्वाबों में आ गई है , ऐ खुदा जो न चाहा मैंने वही तुने मुझको दिया , जिसमे तुझको देखा मैंने वही तुने छीन लिया , शिकायत नहीं तुझसे ये इल्तजा रह गई है , जैसे जिन्दगी जहां अब थमी - सी रह गई है , बस जिन्दगी में उसकी कमी - सी रह गई है ,,,,,,,,Pancho

काश,मेरे सिने में भी दिल होता पारो

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काश, की मेरे सिने में भी दिल होता, मेरे ना सही, किसी और के सिने में धड़कता, उसके एहसासों का मनचला मंज़र, यूँ मेरी साँसों की लहरों से गुजरता, वो आंहें भरती तन्हाई में और मुझे उसकी महफ़िल का खुमार होता, काश, की मेरे सिने में भी दिल होता...! वो सोती मेरे ख्यालों की सेज पर, उसके ख्वाबों का कारवाँ मेरी आँखों में होता, काली-काली घनेरी घनघोर रातों में, प्यार भरी रोशनी से रोशन सिलसिला होता, काश, की मेरे सिने में भी दिल होता...!