क्या सच मे नाग दूध पीते है और इच्छाधारी होते है



आज है नाग पंचमी मतलब नागों का त्योहार, इस दिन हम सब नाग देवता की पूजा करते है | 'नाग पंचमी' हिंदुओं का एक प्रसिद्ध त्यौहार है। यह हिन्दू पंचांग के अनुसार श्रावण माह में शुक्ल पक्ष के पांचवें दिन पंचमी के रूप मे मनाया जाता है। यह त्योहार पूरे भारत भर में मनाया जाता है। यह आम तौर पर आधुनिक कैलेंडर के अनुसार अगस्त के महीने में पड़ता है। 

यह त्योहार अपने आप मे अनूठा और बड़ा ही रोचक है, नाग पंचमी के त्यौहार के उत्सव के पीछे कई कहानियाँ हैं। सबसे लोकप्रिय कथा भगवान कृष्ण के बारे में है। श्रीकृष्ण उस समय एक युवा लड़के थे। वह अपने दोस्तों के साथ गेंद फेंकने का खेल खेल रहे थे। खेल खेलने के दौरान, गेंद यमुना नदी में गिर गई। कृष्ण ने अपने बल से कालिया नाग को परास्त किया और लोगों का जीवन बचाया।

जानिए नाग को दूध पिलाने के पीछे क्या है राज ?


नाग पंचमी पर बहुत सी कहानिया प्रचलित है, उनमे से एक कहानी यह भी है और आंध्रप्रदेश में काफी लोकप्रिय है। किसी समय एक किसान अपने दो पुत्रों और एक पुत्री के साथ रहता था। एक दिन खेतों में हल चलाते समय किसान के हल के नीचे आने से नाग के तीन बच्चे मर गए। नाग के मर जाने पर नागिन ने रोना शुरू कर दिया और उसने अपने बच्चों के हत्यारे से बदला लेने का प्रण किया। बस फिर क्या था नाग ने बदला लेने के लिए रात में नागिन ने किसान व उसकी पत्नी सहित उसके दोनों लड़कों को डस लिया, अगले दिन प्रात: किसान की पुत्री को डसने के लिये नागिन फिर चली तो किसान की कन्या ने उसके सामने दूध से भरा कटोरा रख दिया। 

और नागिन से हाथ जोड़कर क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुन: जीवित कर दिया। कहते हैं कि उस दिन श्रावण मास की पंचमी तिथि थी। उस दिन से नागों के कोप से बचने के लिये नागों की पूजा की जाती है और नाग -पंचमी का पर्व मनाया जाता है।एक और एसी ही कहानी है जिसमे हमे नाग देवता का वर्णन मिलता है, यह कहानी एक धनवान सेठ के घर कि है, चलिये जाने क्या है पूरी कहानी... एक समय कि बात है एक धनवान सेठ के छोटे बेटे की पत्नी सुंदर होने के साथ ही बहुत ही बुद्धिमान भी थी। उसका कोई भाई नहीं था। 


एक दिन सेठ की बहुएं घर को लीपने के लिए जंगल से मिट्टी खोद रही थीं तभी वहां अचानक एक नाग निकल आया। बड़ी बहू उसे खुरपी से मारने लगी तो छोटी बहू ने कहा 'सांप को मत मारो'। उसकी बात सुनकर बड़ी बहू रुक गई। जाते-जाते छोटी बहू उस सांप से थोड़ी देर में फिर लौटने का वादा कर गई। मगर बाद में वह घर के कामकाज में फंसकर उस स्थान पर जाना भूल गई। दूसरे दिन जब उसे अपना वादा याद आया तो वह दौड़कर वहां पहुंची जहां सांप बैठा था और कहा, 'सांप भय्या आपको प्रणाम!' सांप ने कहा कि आज से मैं तेरा भाई हुआ, तुमको जो कुछ चाहिए मुझसे मांग लो। छोटी बहू ने कहा, 'तुम मेरे भाई बन गये यही मेरे लिए बहुत बड़ा उपहार है और खुशी कि बात है ।

कुछ समय बिताने के बाद सांप मनुष्य रूप में एक दिन छोटी बहू के घर आया और कहा कि मैं तुम्हारे दूर के रिश्ते का भाई हूं और इसे मायके ले जाना चाहता हूं। ससुराल वालों ने उसे जाने दिया। विदाई में सांप भाई ने अपनी बहन को बहुत गहने और धन दिये। इन सभी दिये गए उपहारों की चर्चा राजा तक पहुंच गयी। रानी को छोटी बहू का हार बहुत ही पसंद आया और उसने वह हार रख लिया। रानी ने जैसे ही उस हार को पहना वह सांप में बदल गया।

 राजा को बहुत क्रोध आया मगर छोटी बहू ने राजा को इस पर समझाया कि अगर कोई दूसरा व्यक्ति यह हार पहनेगा तो यह तुरंत सांप बन जाएगा। तब राजा ने उसे माफ कर दिया और साथ में धन देकर विदा किया। जिस दिन छोटी बहू ने सांप की जान बचायी थी उस दिन सावन कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि थी इसलिए उस दिन से ही हिंदुओं द्वारा नाग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है।


Worship Of Snake On Nag Panchmi...


Daring Child Playing With Snake....


                                        


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